लघु कथा – आदर्श परिवार की परिभाषा
“अब आपके सामने आठवीं कक्षा का प्रियांक आ रहा है ‘आदर्श परिवार’ पर अपने विचार प्रस्तुत करने, कृपया तालियों से बच्चों का उत्साह वर्धन करते रहें”।
एक बार फिर सब बच्चों के माता-पिता से खचाखच भरा हुआ हाल तालियों से गूँज उठा।
प्रियांक के मम्मी-पापा अवाक एक दूसरे को देखते रह गए। एक हफ्ते पहले ही तो प्रियांक ने दोनों से ‘आदर्श परिवार’ की परिभाषा पर अपने विचार लिखने के लिए सहायता माँगी थी। मगर उन दोनों ने ही एक दूसरे पर ये काम डाल दिया था। अंततः कोई सा भी उसकी मदद नहीं कर पाया था। अब प्रियांक क्या बोलेगा यही सोचकर दोनों के दिल की धड़कने तेज हो गई।
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“आदर्श परिवार’ वो है जहाँ सुबह-सुबह भगवान् को हाथ जोड़कर नमस्कार किया जाता है। जहाँ सुबह सबसे पहले दादा दादी को चाय दी जाती है, जहाँ मम्मी पापा काम में एक दूसरे का हाथ बटाते हैं, बात-बात पर झगड़ा नहीं करते। जहाँ बच्चों की ख़ुशी का ध्यान रखते हैं, घर में हँसी गूँजती है, सुख शान्ति निवास करती है वो ही आदर्श परिवार होता है”।
प्रियांक इधर ये सब कह रहा था, उधर मम्मी पापा दोनों की गर्दनें गर्व से तनी जा रही थी, आँखों में चमक बढ़ रही थी।
कुछ रुक कर प्रियांक आगे बोला “ क्योंकि झूठ बोलना पाप है, इसलिए मैं सच कहता हूँ – ये आदर्श परिवार, मेरे दोस्त गोलू जो हमारे ड्राईवर का बेटा है, उसका है। उसी ने मेरा ये स्पीच तैयार करवाया था। मेरे अपने परिवार की परिभाषा क्या है वो मुझे नहीं आती”।