Laghu Katha Lekhan
लघु कथा – कबूतर का घर और टूटी दीवार
अलसाई आँखों को खोलते ही कबूतरी ने चौंक कर कबूतर से पूछा-
“जानू, ये रात ही रात में क्या हो गया पूरा भवन ही खंडहर हो गया। बस ये दो दीवारें ही बची, अब किस रोशन दान में अपना आशियाँ बनायेंगे?”
“इंसानी धर्मों का बुलडोजर चल गया है जानू – इस पर बस ये दो दीवारें जो बची, वो भी बंट गई हैं। हम इस दीवार पर बैठेंगे तो उसकी गोली चलेगी, उस पर बैठेंगे तो इस की गोली चलेगी। चल कहीं दूर उड़ चलें, जहाँ जाति धर्म वर्ण वर्ग भेदभाव न हो ” कबूतर ने कहा।
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“ऐसी कौन सी जगह होगी जानू यहाँ”?
“चल मुन्नी बाई के कोठे की छत पर गुटरगूँ करेंगे, सुना है वहाँ धर्म वर्म का कोई चक्कर नहीं है। वहीँ अपना आशियाना बनाएँगे”।