लव जेहाद (Love Jihad) क्या है?
लव जेहाद क्या है? क्या इसे किसी समुदाय विशेष के द्वारा हिन्दूओं को अपमानित करने के लिए आरंभ किया गया है। आखिर क्यों विश्व की सबसे बड़ी पार्टी द्वारा शासित देश के बड़े प्रदेशों की सरकारों को इतना भय उत्पन्न हो गया कि वे हिन्दु धर्म की लड़कियों की रक्षा के लिए सख्त कानून बनाने को मजबूर हो गयी है।
यह समझ से परे है कि भारत जैसे देश में जब विभिन्न प्रकार की समस्यायें मुह फाड़े खडी हो, कोरोना महामारी से आम जनता बेबस लाचार हो, नौकरी रोजगार सब बंद पड़े हों, अस्पतालों में ईलाज के लिए न तो बेड पर्याप्त हो और न वेंटीलेटर हों – ऐसी स्थिति में देश के आम नागरिकों की स्वास्थ्य सुविधा, नौकरी, रोजगार की चिन्ता को छोडकर लव जेहाद के नाम पर सख्त कानून बनाने की ऐसी क्या जरूरत आन पड़ी यह समझ से परे है।
अब तो लीव ईन रिलेशनशिप को भी देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा कानूनी मान्यता मिल चुकी है
जहां प्रेम है वहां जिहाद कैसा? जिहाद तो दो तरह का होता है – जिहादे अकबर और जिहादे अशगर। पहला, बड़ा जिहाद जो अपने काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, के खिलाफ इंसान खुद लड़ता र्है, और दूसरा छोटा जिहाद, जो लोग हमलावरों क्रे खिलाफ लड़ते हैं । प्रेम के पैदा होते ही सारे जिहादों का यानि युद्ध का अंत हो जाता है लेकिन फिर भी भारत में यह शब्द चल पड़ा है -लव जिहाद यानी प्रेम युद्ध।
यह लव जिहाद शब्द चला है केरल राज्य से – जहां पिछले 10-11 वर्षां से पादरी शिकायत करते रहे कि लगभग 4000 ईसाई लड़कियों को जबरन मुसलमान बनाया गया। इस आरोप की जांच-पड़ताल हुई और आरोपों के प्रमाण नहीं पाये गये। किसी लड़के का किसी लड़की से प्रेम विवाह होना आम बात है। कुछ कट्टरपंथियों को यह पसंद नहीं बस यही से सारा खेल शुरू होता है। पहले वेलंटाईन डे पर लडके -लडकियों को आपस में मिलने से रोकने का खेल शुरू हुआ। तमाम बंदिशों के बाद भी युवक युवतियों का आपस में मेल जोल बढता ही गया और अब तो लीव ईन रिलेशनशिप को भी देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा कानूनी मान्यता मिल चुकी है।
तमाम प्रयासों/ प्रतिबंधों के बावजूद भी आपसी प्रेम संबंधों की प्रगाढता का परिणाम प्रेम विवाह के रूप में सामाने आने लगा तो उन्हें यह रास नहीं आया है। इनकी मुख्य आपत्ति हिन्दु धर्म की लड़की का दूसरे धर्म के लड़के से विवाह है। यदि वह नाबालिग है या छल कपट या जबरदस्ती करके ऐसा विवाह किया गया है तब तो आपत्ति किया जाना जायज है और कानून के अनुसार सख्त सजा दी जानी चाहिए। इस हेतु भारतीय संविधान के तहत पर्याप्त प्रावधान किये गये है और भारतीय दंड संहिता में भी इस बाबत् पूरी व्यवस्था की गई है। परन्तु यदि वे बालिग है तो उन पर रोक उचित नहीं है। यदि वे बालिग है तो भी यदि लड़का मुस्लिम समाज या किसी और समाज से है और लड़की हिन्दु है तो ये उसे सहन नही कर पातें, विशेष कर यदि लडका मुस्लिम हो। भले ही मुस्लिम समाज लड़की को पूरे मान सम्मान के साथ स्वीकार करे, उसे उसके धर्म के अनुसार अपने रीति रिवाज मानने की छूट दे ।
ये ऐसे लोग है जिनके शीर्षस्थ नेताओं की लड़कियों ने मुस्लिम युवकों से विवाह किया है और ये चाह कर भी उसका विरोध नहीं कर पाये। उल्टे लड़के/परिवार की हैसियत व रूतबे के सामने लाचार होकर उसका मान सम्मान करते हैं ऐसा करने पर इन्हें स्वयं को अपमानित महसूस होता है और इसी वजह से हिन्दुओं के रहनुमा बनकर मुस्लिमों और अन्य धर्मां के मानने वालों को एक विशेष एजेंडे के तहत टारगेट करते रहते है। इनको इससे कोई मतलब नहीं कि उनकी हरकतों से देश/प्रदेश की शांति भंग हो, दंगे फसाद हो निरपराध जनता का खून बहे, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचे या देश में उत्तेजना का माहौल रहे। इन्हें सिर्फ अपनी रोटी सेकनी है, उन्माद का वातावरण बनाये रखना है चाहे इसके लिए आम जनता को कोई भी कीमत चुकानी पड़े।
उत्तर प्रदेश सरकार ने नये कानून की अधिसूचना जारी कर दी है
कथित लव जिहाद के खिलाफ उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा की राज्य सरकारों के द्वारा सख्त कानून बनाने की घोषणा की गई है। कल उत्तर प्रदेश सरकार ने नये कानून की अधिसूचना जारी कर दी जो तत्काल ही राज्यपाल के हस्ताक्षर हेतु भेज दी गई। इसी बीच ईलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसला दिया। अदालत ने कहा है कि किसी भी व्यक्ति को अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि कानून दो बालिग व्यक्तियों को एक साथ रहने की इजाजत देता है, चाहे वे समान या विपरीत सेक्स के ही क्यों न हो।
कुशीनगर के रहने वाले सलामत अंसारी और प्रियंका खरबार के मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि कानून एक बालिग स़्त्री या पुरूष को अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार देता है। अदालत ने कहा है कि उनके शांतिपूर्ण जीवन में कोई व्यक्ति या परिवार दखल नहीं दे सकता है।
अदालत के अनुसार राज्य भी दो बालिग लोगों के संबंध को लेकर आपत्ति नहीं कर सकता
अदालत ने कहा कि यहां तक कि राज्य भी दो बालिग लोगों के संबंध को लेकर आपत्ति नहीं कर सकता है। अदालत ने यह फैसला कुशीनगर थाना के सलामत असांरी और तीन अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सुनाया। उल्लेखनिय है कि सलामत और प्रियंका खरबार ने परिवार की मर्जी के खिलाफ मुस्लिम रीति रिवाज के साथ 19 अगस्त 2019 को शादी की है।
विदेशों में पिछले कई दशकों से ऐसे परिवार भी रह रहे है जिनमें हिंदू पति अपनी मुसलमान पत्नी के साथ रोजा रखता है और मुस्लिम पत्नी मगन होकर कृष्ण भजन गाती है। हिंदू पति गिरजाघर जाता है और उसकी अमेरिकी पत्नी मंदिर में आरती उतारती है। यदि दिल में सच्चा प्रेम हो है तो सारे भेदभाव समाप्त हो जाते हैं। मंदिर मस्जिद गिरजा की दीवारें गिर जाती है और सारे भेदभाव समाप्त हो जाते हैं और आप उस सर्वशक्तिमान को स्वतः उपलब्ध हो जाते हैं।
क्या ही अच्छा होता अपार जनमत प्राप्त कर चुनी गई सरकारे अपने राज्य के नागरिकों की बेहतरी लिए अपनी उर्जा व क्षमता का उपयोग करते हुए प्रयास करती, उनके शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजी, रोजगार की ओर ध्यान देतीं देश की सामाजिक समरता/खुशहाली को बनाये रखती – ना कि पूर्व से भारतीय दंड संहिता में दिये गये प्रावधानों पर ही संशोधन कर नया कानून प्रस्तुत करती जिसकी वैधता स्वयं संदेह के घेरे में है कि वह कानून मान्य होगा भी या नहीं।
शायद इसीलिए किसी शायर ने लिखा है :-
म्ंदिर में दाना चुगकर चिड़िया, मस्जिद में पानी पीती है।
मैने सुना है राधा की चुनरी, कोई सलमा बेगम सीती है ।
एक रफी था महफिल में, रघुपति राघव गाता था ।
एक प्रेमचंद बच्चों को, ईदगाह सुनाता था।
कभी कन्हैया की महिमा गाता, रसखान सुनाई देता है ।
औरों को दिखते होंगें हिन्दू और मुसलमान,
मुझे तो हर शख्स के भीतर इंसान दिखाई देता है।
क्योंकि—
ना हिंदू बुरा है और ना मुसलमान बुरा है,
जिसका किरदार बुरा है वो इंसान बुरा है।
नोट – ये लेखक के निजी विचार हैं