मॉडर्नाइजेशन के साइड इफेक्ट
क्या मॉडर्नाइजेशन से हमारी और हमारे युग की वृद्धि हो रही है। इस मुद्दे पर कुछ पक्ष इसके सहयोग मेे आएंगे तथा कुछ असहयोगियों की भांति।
मै असहयोगियों के पक्ष से कुछ तर्कों को प्रस्तुत करता हूं।
मॉडर्नाइजेशन हमे हर प्रकार की सहायता का अनुभव करता है। ये हमारे हर कार्य को सरल, सुगम व शीघ्र बनाया है। हम सब इसे जी रहे हैं, अनुभव कर रहे हैं, इसलिए हमे ये सही है लगता है और मुझे भी अच्छा लगता है। पर क्या हमने इससे होने वाले अंत का आभास किया है।
जब हमारे पूर्वज कूप से जल, नदी तट पर सूर्य के समक्ष स्नान करने, मीलों पैदल चलने जैसे कार्यों को करना जानते थे, जब हमे मोटरबाइक, मोटर, गीजर जैसी वस्तुओं का ज्ञान नहीं था। क्या तब हम नहीं जी पाते होंगे, क्या तब हम सुखी नहीं रह पाते होंगे। मुझे तो लगता है, इस मॉडर्नाइजेशन के रूप हमे अनेक तरह की बीमारियां, उथल – पुथल भरी ज़िन्दगी, भाग दौर, मानसिक कष्ट जैसी चीजें मिल रही हैं ना कि सुख, शांति।
जब से हम मॉडर्नाइजेशन की और बढ़े हैं, हम अपने वास्तविकता से दूर हो रहे हैं। अवश्य ही जीवन सरल हो गई है , पर क्या सरलता से किया जाने वाला काम सफल होता है ?
मुझे तो ऐसा अनुभव होता है कि, मॉडर्नाइजेशन के नाम पर हम अपने युग के अंत की ओर बढ़ रहे हैं।
ये मॉडर्नाइजेशन हमारे युग के साथ – साथ ही प्रकृति के भी समुल नाश पर तुली है। ये हमारे कार्यों को सरल, सुगम नहीं अथवा हमे कमजोर, निसहाय, अशांत, पीड़ादायक, मानसिक कष्ट इत्यादि कई तरह से नुकसान पहुंचा रही है।
कहने और लिखने के लिए तो बहुत कुछ है, परंतु अभी जो मेरे मस्तिष्क में आया वो भी सोचने योग्य है।