Narendra Modi emerges a leader from pracharak in emergency

मोदी : आपदा को अवसर में बदलने की प्रवृति होनी चाहिए हर इंसान में

स्वतंत्र भारत में कई भीषण आपदाएं आयी हैं – कुछ प्राकृतिक, कुछ सामाजिक और कुछ राजनीतिक। इंदिरा गाँधी द्वारा आपातकाल (Emergency) घोषित करना उनमे से ही एक है। वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रायः मंच से यह कहते सुना जाता है कि आपदा को अवसर में बदलने की प्रवृति होनी चाहिए हर इंसान में । ऐसे शब्द उस व्यक्ति से सुना जाना जिसने इस प्रवृति को अपने जीवन में अंगीकार भी किया हो, एक विश्वास जगाता है।

During Emergency Indira Gandhi Banned RSS
During Emergency Indira Gandhi Banned RSS

25 जून 1975 दिन तक सब कुछ सामान्य था, और इलाहबाद कोर्ट का एक फैसला था जिसमे चुनाव प्रचार अभियान में इंदिरा गाँधी को दोषी माना गया था, इस फैसले से तिलमिलाकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने आपातकाल की घोषणा दी। नहीं तो उन्हें इस्तीफा देना पड़ता।  खैर 25 जून, 1975 को लगा आपातकाल 21 महीनों तक यानी 21 मार्च, 1977 तक रहा। 25 जून की मध्य रात्रि में तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के हस्ताक्षर करने के साथ ही देश में आपातकाल लागू हो गया। देश को 26 जून की सुबह पता चला जब ऑल इंडिया रेडियो पर इंदिरा गाँधी की आवाज में संदेश था, ‘भाइयो और बहनो, राष्ट्रपति जी ने आपातकाल की घोषणा की है। इससे आतंकित होने का कोई कारण नहीं है।’

Emergency Declared and opposition leaders arrested
Emergency Declared and opposition leaders arrested

25 जून की रात से ही इंदिरा गाँधी ने विपक्षी नेताओं को जेल में डालना शुरू कर दिया । जयप्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई, अटल बिहारी वाजपेयी , लालकृष्ण आडवाणी, अशोक मेहता, जॉर्ज फर्नाडीस आदि बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया गया था। लेकिन कई नेताओं ने गिरफ्तारी से बचने के लिए भेस बदला था ताकि वे उसके खिलाफ प्रतिरोध की योजना बना सकें। मोदी उन नेताओं में से एक थे, हालांकि उस समय वे केवल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रचारक थे। आपातकाल के दौरान RSS को भी प्रतिबंधित कर दिया गया था।

आपातकाल के समय प्रशासन और पुलिस के द्वारा भारी उत्पीड़न की कहानियां भी सुनने को मिलती हैं। उस वक़्त प्रेस पर भी सेंसरशिप लगा दी गई थी। हर मीडिया हाउस में सेंसर का अधिकारी बैठा दिया गया था , और उसकी अनुमति के बाद ही कोई समाचार छप सकता था। सरकार विरोधी समाचार छापने पर गिरफ्तारी हो सकती थी।

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आपातकाल के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहम भूमिका निभाई थी।

कई पत्रकारों को मीसा (MISA – Maintenance of Internal Security Act) और डीआईआर (DIR – Defense of India Act) के तहत गिरफ्तार कर लिया गया था। हालाँकि आज भी वे पत्रकार कांग्रेस के उस कृत्या पर कुछ भी बोलने से बचते दीखते हैं। तब इंदिरा सरकार की कोशिश थी कि लोगों तक वस्तुस्थिति की सही जानकारी नहीं पहुंचे। उस बुरे समय में नरेंद्र मोदी और RSS के कुछ प्रचारकों ने सूचना के प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी उठा ली। इसके लिए उन्होंने थोड़ा अलग तरीका अपनाया। संविधान, कानून, कांग्रेस सरकार की ज्यादतियों के बारे में जानकारी देने वाले साहित्य, लैफ़्लेट्स गुजरात से दूसरे राज्यों के लिए जाने वाली ट्रेनों में रखे जाने लगे नरेंद्र मोदी और दूसरे RSS प्रचारकों द्वारा । यह एक बहुत जोखिम भरा काम था, जिसमे मौत का भी डर था। क्योंकि रेलवे पुलिस बल को संदिग्ध लोगों को गोली मारने का निर्देश दिया गया था। लेकिन नरेंद्र मोदी और अन्य प्रचारकों द्वारा इस्तेमाल की गई यह तकनीक कारगर रही।

Narendra Modi hid himself as Sikh during Emergency
Narendra Modi hid himself as Sikh during Emergency

मोदी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए खुद को सिख के रूप में अपना हुलिया बना रखा था। उन्होंने दिल्ली में आपातकाल के दौरान प्रतिबंधित साहित्य लेकर जेल में जनसंघ के नेताओं से मुलाकात भी की। 25 वर्षीय मोदी ने संन्यासी के रूप में भी पेश किया और जॉर्ज फर्नांडीस जैसे नेताओं को सुरक्षित स्थानों तक ले गए । उस समय के छोटे नेता, मोदी का काम शीर्ष नेताओं के बीच एक सहायक के रूप में सेवा करना और प्रतिबंधित साहित्य को प्रसारित कर सुचना का प्रसार करना था। कहते हैं खुद को छिपाने के अलावा, नरेंद्र मोदी ने अपना एक छद्म नाम भी रखा था – प्रकाश।

 

 

 

 

मोदी की पहचान तब कर्मठ और आपदा प्रबंधन के लिए सुयोग्य स्वयंसेवक के रूप में होने लगी थी

आपातकाल के दौरान मोदी की भूमिगत गतिविधियों ने एक नेता के रूप में उनका कद बढ़ाने में मदद की। जब आपातकाल हटा लिया गया था, तब तक मोदी की राजनीतिक दृष्टि चौड़ी हो गई थी और उनकी पहचान तब कर्मठ और आपदा प्रबंधन के लिए सुयोग्य स्वयंसेवक के रूप में होने लगी थी, और वह आरएसएस के हलकों में तब एक ‘नाम’ थे। सुरक्षित ठिकाने और वित्तीय सहायता प्रदान करने वाले समर्थकों के एक राज्यव्यापी जाल का निर्माण करने में सफल रहे, बैठकें आयोजित कीं, जो पुलिस की आँखों से बची रह गयी थी।

आपदा को अवसर में तब्दील करने का वो जज्बा ही था जो आरएसएस ने बाद में 1985 में उन्हें भाजपा पार्टी के प्रचार प्रसार के लिए चुना। भाजपा में कई पदों में रहने से लेकर गुजरात के मुख्यमंत्री में लम्बा कार्यकाल भी रहा था नरेंद्र मोदी को। यह नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता और आपदा को अवसर में बढ़ाने की क्षमता ही थी जो वे आगे चलकर भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री भी हुए।

By Vivek Sinha

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