फिर भी सीखा है जननी से, सहनशीलता का पाठ यहीं : “केवल” रुचिर की कविता
सीखा है जननी से – Kavita in Hindi अस्लाह भरपूर रखते है, अचूक अर्जुन हमारे है।। है अंगद भी इस मिट्टी का, जन्मा भीम सा बलवान यहीं ।। फिर भी…
कोई पहलू न छूटे
सीखा है जननी से – Kavita in Hindi अस्लाह भरपूर रखते है, अचूक अर्जुन हमारे है।। है अंगद भी इस मिट्टी का, जन्मा भीम सा बलवान यहीं ।। फिर भी…
Lachar Kavita in Hindi मुझमें भी लाचार बचा है : लघु कविता हर तरफ हाहाकार मचा है, सिर्फ अब लाचार बचा है। ना कहीं प्रेम, ना आराम बचा है। लोभ…
हिन्दी कविता hindi kavita भूल गया जो प्रेम गीत मैं, प्रिय वो गीत सुना दो ना। भटक रहा मैं युगों युगों से, मुझको राह दिखा दो न प्रिय वो गीत…