Jatinga Bird Mystery in Hindi
खूबसूरत असम
यूं तो असम अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और सांस्कृतिक विरासत के कारण सैलानियों के लिए एक प्रिय पर्यटन स्थल माना जाता है। यहां के बड़े और घने जंगल, चाय के बागान, स्वच्छ निर्मल ब्रह्मपुत्र नदी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। यह प्रदेश शांति, संस्कृति और परंपरा जैसी खूबियों से परिपूर्ण है। यह भारत के शानदार टूरिस्ट स्टेट के रूप में भी चर्चित है।
परंतु यहां का पर्यटन जितना खूबसूरत है वही कुछ जगह ऐसे भी हैं जो अपने अंदर कई रहस्य लिए है और आश्चर्यजनक भी है।
दरअसल असम में एक ऐसा जगह है जिसे पक्षियों का सुसाइड प्वाइंट कहते हैं। यह जगह असम राज्य के डीना हसाओ जिला का जातिंगा गांव है।
असम का जातिंगा वैली जहाँ पक्षी करते हैं सामूहिक आत्महत्या
यहां मानसून के बाद सितंबर से नवंबर माह के बीच काफी संख्या में पक्षी आकर आत्महत्या करते हैं। प्रवासी पक्षी ही नहीं स्थानीय पक्षी भी आत्महत्या करते हैं। यहां के लोगों ने करीब 40-45 प्रजातियों के पक्षियों को ऐसा करते देखा भी है। शाम के 7 बजे से रात के 10 बजे तक पक्षी यहां मौत को गले लगाते हैं, अचानक वे कीट पतंगों की तरह जमीन पर गिरते हैं। लगभग डेढ़ किलोमीटर लम्बे और 200 मीटर चौड़े क्षेत्र में ही यह हादसा होता है।
इस घटना के पीछे दो कारण है – एक कारण है लोगों के बीच की प्रचलित मान्यता और दूसरा पक्षी वैज्ञानिक द्वारा बताए गए तथ्य। प्रायः यह घटना तभी होती है जब चाँद या तो बादलों में छुपा होता है या अमावस्या की रात होती है।
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पक्षियों के रूप में बुरी आत्माएं
स्थानीय लोगों के अनुसार यह मान्यता है कि गांव पर बुरी आत्माओं का साया है और पक्षियों के रूप में बुरी आत्माएं उनके गांव पर हमला करती है। पक्षियों के मौत से बुरी आत्माओं का खात्मा होता है।
पक्षी वैज्ञानिको के तर्क
हालांकि पक्षी वैज्ञानिकों का ऐसा मानना नहीं है उनके अनुसार पक्षियों में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति नहीं होती है। उनका मानना है कि काफी ऊंचाई पर दिशा भ्रम, हवा के तेज बहाव,और कोहरे के कारण पक्षियों की मौत होती है।
ये पक्षी उत्तर दिशा की ओर से आते हैं और जैसे ही शाम ढलती है, तो ये पक्षी दक्षिणी छोर से आ रही लाइट की ओर जाने का प्रयास करते हैं। इस चक्कर में वह तेजी से उड़ान भरते हैं और घर या फिर चट्टानों से टकराकर दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। यह सुसाइड प्वाइंट घाटी में अवस्थित है, जो चारों ओर से चट्टानों से घिरा होता है, आस-पास बड़े-बड़े जंगल होते हैं। शाम के वक्त कुहासा के कारण अंधेरा काफी हो जाता है, इसलिए इस प्रकार की घटना होती है।
पक्षी विज्ञानी डॉ अनवरुद्दीन चौधरी ने अपनी पुस्तक बर्ड्स ऑफ असम (Birds Of Assam) में इस घटना को विस्तार से कवर किया है।
तर्क चाहे कुछ भी हो लेकिन जातिंगा वैली में पक्षियों की सामूहिक आत्महत्या दुनिया भर में बरमूडा ट्रायंगल की तरह ही रहस्य का विषय बना हुआ है।