India in Olympic

ओलम्पिक खेल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली एक खेल प्रतियोगिता है, जिससे हम सभी परिचित हैं। इसमें हजारों एथलीट  कई प्रकार के खेलों में भाग लेते हैं। ओलम्पिक में शीतकालीन और ग्रीष्म कालीन प्रतियोताऐं होती हैं, जिसमें 200 से अधिक देश प्रतिभागी के रूप में भाग लेते हैं। इसका आयोजन प्रत्येक चार बर्षों पर होता है।

Jigoro Kano  को ओलंपिक आंदोलन का जन्म दाता माना जाता है। यह एक जापानी शिक्षक थे, जो टोक्यो हायर  नार्मल स्कूल (Tsukuba University के रूप में जाना जाता है) के हेडमास्टर थे और जूडो को बढ़ावा देने के लिए काफी प्रयास किए।

ओलम्पिक में भारत सबसे पहली बार वर्ष उन्नीस सौ (1900) में शामिल हुआ। उस वक्त भारत में ब्रिटिश शासन काल था। उस समय से लेकर साल 2020 तक भारत ने 24 बार ओलंपिक में हिस्सा लिया और 28 पदक के विजेता बने।

ओलंपिक में भारत का इतिहास

1896 मैं ग्रीस में आधुनिक ओलंपिक खेलों का शुरुआत हुआ था। साल 1900 मैं भारत में पहली बार पेरिस ओलंपिक में हिस्सा लिया कोलकाता के रहने वाले एग्लो इंडियन नॉर्मन गिलबर्ट प्रीतिहॉर्ट ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था और 200 मीटर तथा 200 मीटर बाधा दौड़ में रजत पदक जीता था। उसके बाद 20 सालों तक भारत ने ओलंपिक में कोई योगदान नहीं दिया।

वर्ष 1920 में भारत की ओर से बेल्जियम केएंटवर्प को ओलंपिक में भाग लेने का मौका मिला। उस समय भारत ने पहली बार अपनी ओलंपिक टीम भेजी, तब से लेकर आज तक भारत लगातार ओलंपिक में भाग लेता आ रहा है।

भारत को पहला स्वर्ण पदक 1928 में मिला

वर्ष 1928 के एम्सटर्डम ओलंपिक में जयपाल सिंह के नेतृत्व में भारतीय हॉकी टीम ने 3-0 हालैंड को हराया और पहला स्वर्ण पदक प्राप्त किया। इसके बाद भारत ने लगातार (1932, 1936, 1948, 1952, 1956) पांच बार ओलंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने स्वर्ण पदक जीता। इस बीच भारत ने कई जबरदस्त रिकॉर्ड भी बनाए जिसे तोड़ना किसी भी देश के लिए आसान नहीं था। उसने 1932 में अमेरिका को 24-1 के जबरदस्त अंतर से हराया।

इस रिकॉर्ड को आज तक किसी भी टीम ने नहीं तोड़ पाया है, उस वक्त मेजर ध्यानचंद के हॉकी का जलवा काफी जोरों पर था, हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद का उस समय ऐसा जादू चला कि भारत ने लगातार 28 सालों तक ओलंपिक में एकछत्र राज किया इस दौरान भारत ने 24 मैच खेले और सभी 24 मैच जीते भी और विरोधी खेमे में 7.43 की औसत से 178 गोल दागे।

1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में भारत ने पहली बार हॉकी के अलावा कुश्ती में भी पदक हासिल किया। केएल जाधव के जबरदस्त प्रदर्शन से भारत को कांस्य पदक प्राप्त हुआ। साल 1960 के रोम ओलंपिक में भारतीय हॉकी के जीत का सिलसिला तो थम गया लेकिन इसी ओलंपिक में मिल्खा सिंह ने 400 मीटर की दौड़ में अब तक याद रखने वाला जबरदस्त ऐतिहासिक लेकिन दिल तोड़ देने वाला प्रदर्शन किया। उन्होंने विश्व रिकॉर्ड तो तोड़ा परंतु चौथा स्थान ही हासिल कर पाए ।

 1964 के टोक्यो ओलम्पिक में भारतीय हॉकी टीम ने 1-0 से पाकिस्तान को हराकर रोम ओलंपिक का बदला लिया इसी ओलंपिक में गुरबचन सिंह रंधावा ने 110 मीटर बाधा दौड़ सिर्फ 14 सेकंड का रिकॉर्ड बनाया तथा विश्व स्तर के धावकों के बीच पांचवा स्थान बनाया।

ओलम्पिक में महिलाओं का योगदान

भारत के लिए ओलंपिक में महिलाओं का भी कम योगदान नहीं रहा है, इसमें भारत की तरफ से हिस्सा लेने वाली पहली भारतीय महिला पीटी उषा का नाम आता है। महिलाओं की 400 मीटर बाधा दौड़ में जो प्रदर्शन पी टी उषा ने किया वह आज तक गौरव की बात है। हालांकि इस दौड़ में वह कांस्य पदक से चूक गई और चौथे स्थान पर रही। उसके बाद अटलांटा ओलंपिक में लिएंडर पेस ने टेनिस के एकल स्पर्धा में भारत के लिए कांस्य पदक जीता।

साल 2000 में सिडनी ओलंपिक में कर्णम मल्लेश्वरी ने महिला भारोत्तोलन में कांस्य पदक लेकर आई।

साल  2004 में एथेंस ओलंपिक में राज्यवर्धन राठौड़ ने डबल ट्रैप शूटिंग में रजत पदक प्राप्त करके भारत का नाम ऊंचा किया।

बीजिंग 2008 में अभिनव बिंद्रा ने मेंस 10 मीटर एयर राइफल में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीता। भारतीय निशानेबाज ने अपने अंतिम शर्ट के साथ लगभग 10. 8 का स्कोर किया जिससे भारत का पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक सुनिश्चित हुआ। विजेंदर सिंह ने बॉक्सिंग में कांस्य पदक जीता। इसी ओलंपिक में सुशील कुमार ने मेंस कुश्ती में कांस्य पदक जीता।

साल 2012 में मैरीकॉम ने वूमेन प्राइवेट बॉक्सिंग में कांस्य पदक जीता, योगेश्वर दत्त ने कुश्ती में 60 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीता, उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी री जोंग म्योंग को सिर्फ 1.02 मिनट में हराया। साइना नेहवाल ने बैडमिंटन में ब्रॉन्ज मेडल जीता।

साल 2016 में रियो ओलंपिक में वूमेन सिंगल्स बैडमिंटन में पीवी सिंधु ने सिल्वर जीता। साक्षी मलिक ने रेसलिंग में कांस्य पदक जीता। 

कहाँ खड़ा है भारत ओलम्पिक प्रतियोगिता में

वैसे अभी टोक्यो ओलम्पिक चल ही रहा है और भारत के प्रदर्शन को देखें तो इसे साधारण ही कहा जायेगा। कुल मिलकर ओलम्पिक में भारत के अब तक के प्रदर्शन पर ध्यान दिया जाये तो इसे काफी निराशाजनक कहा जायेगा। आज स्पोर्ट्स में अमेरिका, चीन, जापान, रूस, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटैन जैसे देशों का आधिपत्य है पिछले कई सालों से।

ओलम्पिक के शुरू हुए करीब सवा सौ साल हो गए और भारत हर बार एक्का दुक्का पदक लेकर सिर्फ अपनी उपस्थिति ही दर्ज करवा पाता है। समस्या सिर्फ राजनीतिक हो ही नहीं सकती। सामाजिक स्तर पर लोगों को सोचने की जरुरत है क्योंकि क्रिकेट ही एकमात्र खेल नहीं है। और उसमे भी दुर्भाग्य यह कि क्रिकेट ओलम्पिक में शामिल भी नहीं है।

किसी भी देश के विश्वशक्ति होने की एक शर्त यह भी है कि उसे हर क्षेत्र में अग्रणी होना होता है। और अगर खेल (Sports in Total) के क्षेत्र में देखा जाये तो भारत अभी विश्व में बहुत पीछे है।

By कुनमुन सिन्हा

शुरू से ही लेखन का शौक रखने वाली कुनमुन सिन्हा एक हाउस वाइफ हैं।

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