BJP JDU Alliance on StakeBJP JDU Alliance in Danger. Photo Credit : NDTV

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बीजेपी जेडीयू गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं है

बीजेपी जेडीयू गठबंधन (BJP-JDU Alliance) में सब कुछ ठीक नहीं है। राष्ट्रीय जनता दल के नेता श्याम रजक ने दावा किया है कि जेडीयू के 17 विधायक उनके संपर्क में हैं और कभी भी आरजेडी (RJD) में आ सकते हैं। उधर ही आरजेडी अध्यक्ष और मुख्य विपक्षी नेता तेजस्वी यादव नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनाने को लोभ दिखाकर NDA छोड़ने का प्रस्ताव भी दे रहे हैं।  इन सब दावों को दरकिनार करते हुए जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने इन बयानों को भ्रामक बताया। और कहा कि जनता दल यूनाइटेड (JDU) पूरी तरह से यूनाइटेड है और बीजेपी के साथ मिलकर पूरे 5 साल तक सरकार चलाएगी।

तकनीकी रूप से करीब 28-29 विधायकों के एक साथ छोड़ने पर ही बागी विधायकों को दल बदल कानून से छूट मिल सकती है, क्योंकि अभी सदन पटल पर जेडीयू के 43 विधायक हैं।

बिहार विधानसभा में बीजेपी ने बड़े भाई की भूमिका निभाई

बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी जेडीयू गठबंधन की जीत के बाद कयास ये लगाए गए कि बीजेपी कहीं मुख्यमंत्री पद की मांग न कर दे। असल में चुनावी गठबंधन में बड़े भाई की भूमिका वाले जेडीयू का परफॉरमेंस बेहद निराशाजनक रहा था। अच्छे परफॉरमेंस देने के बावजूद बीजेपी ने कर्त्तव्य परायणता दिखाते हुए मुख्यमंत्री पद के लिए नीतीश कुमार के नाम पर ही मुहर लगा दी। विपक्ष कुछ जुगाड़ लगा सके, इन सारी संभावनाओं पर बीजेपी ने पूर्ण विराम लगा दिया था। चिराग पासवान के सेलेक्टिव चुनावी लड़ाई को लेकर दोनों दलों में भी तल्खी खूब दिखी, परन्तु बाद में रिजल्ट आने के बाद वो भ्रम भी दूर हो गया।

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बीजेपी जेडीयू गठबंधन वाली सरकार में सब कुछ ठीक नहीं है

इतनी अच्छी पटकथा के बावजूद बीजेपी जेडीयू गठबंधन वाली सरकार में सब कुछ ठीक है – कहा नहीं जा सकता। सरकार गठन के एक महीना भी नहीं हुआ और कई मुद्दों पर असहमतियों की गांठ साफ देखी जा सकती है।

सब कुछ सामान्य नहीं है इस गठबंधन में। यह गठबंधन सिर्फ राज्य स्तर तक ही सीमित है, और यह दोनों ही दलों ने कई बार इसे जताया भी है। हाल ही में जेडीयू चीफ नीतीश कुमार ने कन्फर्म किया है कि जेडीयू बंगाल विधानसभा चुनाव में 75 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी, बीजेपी से इतर।

बीजेपी जेडीयू गठबंधन (BJP JDU Alliance) लिव इन रिलेशनशिप में

इस रिश्तें में काफी शर्तें हैं, इतनी शर्तों के बाद सहयोग का पहिया कितनी दूर चलेगा, भविष्य के गर्भ में है। बिहार से बाहर इन दोनों दलों में कोई मेल नहीं है। झारखण्ड, असम, कर्णाटक, गुजरात, अरुणाचल प्रदेश  आदि कई राज्यों में जेडीयू ने बीजेपी से अलग चुनाव लड़ा था, हालाँकि दिल्ली में साथ मिलकर चुनाव में भागीदारी की।

बीजेपी जेडीयू के इस लिव इन रिलेशनशिप में ताजा झटका तब आया, जब अरुणाचल प्रदेश में जेडीयू की हैसियत मुख्य विपक्षी दल की भी न रही। दरअसल कुछ दिन पूर्व अरुणाचल प्रदेश में जेडीयू के 7 में से 6 MLA बीजेपी का दामन थाम लिया था।

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ध्यान देने वाली बात ये है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू ने 2019 विधानसभा चुनाव में 15 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े कर 7 में विजय हासिल किया था, और बीजेपी के बाद दूसरी बड़ी पार्टी के रूप में सामने आयी थी। तब बीजेपी ने 41 सीटों पर विजय पताका फहराया था। इस सेटबैक के बाद बीजेपी के पास 60 सदस्यीय सदन में 48 विधायक हो गए हैं, जबकि जेडीयू केवल 1 विधायक के साथ ही उपस्थित है। कांग्रेस (Congress) और नेशनल पीपल्स पार्टी (NPP) के 4-4  सदस्य हैं।

बीजेपी जेडीयू गठबंधन क्या टूट के कगार पर

राजनीतिक हलकों में नीतीश कुमार को हमेशा से मौकापरस्त नेता माना जाता रहा है। बीजेपी जेडीयू गठबंधन के इस नोक झोंक में कब तक यह साथ बना रहता है, देखने वाली बात है। चर्चा फिर से जोरों पर है कि बीजेपी जेडीयू गठबंधन क्या टूट के कगार पर है? वो भी तब जब विपक्ष भी संख्या बल में काफी मजबूत हैं और समय समय पर नए नए ऑफर की हड्डियां फेंकते रहते हैं।

यह लेखक के निजी विचार हैं।

By Vivek Sinha

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