Loudspeaker Ban In Kerala
केरल के मंदिरों में लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध
केरल में सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) ने राज्य के मंदिरों में लाउडस्पीकर पर लगभग प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया है, जिससे एक विवाद पैदा हो गया है कि केवल हिंदू पूजा स्थलों को निशाना बनाया जा रहा है।
इस साल 7 जनवरी को जारी आदेश में, केरल देवस्वोम बोर्ड ने एक परिपत्र जारी कर कहा कि मंदिरों को 55 डेसीबल से अधिक ध्वनि स्तर वाले वक्ताओं का उपयोग नहीं करना चाहिए।
#Kerala Government order. Suprabatham and other such chants from temples through loudspeakers is Sound pollution (the gist). Anything above 55dB would warrant strict penal action. Applicable only to temples. pic.twitter.com/Fd4pw3UPOl
— Suresh (@surnell) January 13, 2021
पहले भी केरल में ऐसे प्रतिबंध लगते रहे हैं
समय समय पर वहां की वामपंथी सरकार ने मंदिर से लाउड स्पीकर हटवाने या मंदिर प्रशासन को ध्वनि प्रदूषण का हवाला देकर नोटिस भी देते रहते हैं। ऐसा ही कुछ 2018 में हुआ था जब तिरुवनंतपुरम के असिस्टेंट कलेक्टर अनुपम मिश्रा ने ज्यादा शोर करने के लिए वहां के तीन मंदिरों (श्री कंटेश्वरम महादेवा मंदिर, गौरिसपोट्टम महादेवा मंदिर और नाथंकडे महादेवा मंदिर) में लाउड स्पीकर बंद करने का आदेश दिया था।
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55 डेसीबल होता क्या है?
इसे ऐसे समझिये जब लोग आपस में एक मीटर की दूरी पर हो बातें करते हैं तो वो करीब 60 डेसीबल का होता है। यह एक साधारण बातचीत के स्तर से भी कम है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि 2011 की जनगणना के आधार पर केरल में हिन्दुओं का प्रतिशत करीब 54 प्रतिशत है – मुस्लिम और इसाईओं से कहीं अधिक। लेकिन पिछले 10 सालों में इस डेमोग्राफी में बहुत बदलाव हुआ है और इस बात की पुष्टि इसी साल होने वाले जनगणना से हो जाएगी।
धर्म के आधार पर पक्षपात क्यों
केरल देवस्वोम बोर्ड के सर्कुलर पर अब सवाल उठाए जा रहे हैं कि मंदिरों को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है जबकि मस्जिदों को छूट दी गई है। केवल मंदिर के लाउड स्पीकर से ही शोर निकलता है, मस्जिद से लाउडस्पीकर के अजान क्या शोर नहीं होते।
क्या केरल सरकार कभी भी मस्जिद में लाउड स्पीकरों पर अज़ान को प्रतिबंधित करने के लिए ऐसे आदेश जारी करने की हिम्मत करेगी? वहां के स्थानीय हिन्दुओं ने सोशल मीडिया में केंद्र सरकार से गुहार लगायी है कि इस तरह के तानाशाही फरमान पर गृह मंत्रालय ही कुछ एक्शन लें ताकि धर्म के आधार पर पक्षपात पर रोक लग सके।