भारत में गायों की 43 नस्लें पाई जाती हैं, जो देसी गायों की नस्लें हैं
गाय एक उपयोगी पालतू पशु है जो संसार में सर्वत्र पाई जाती है। इससे उत्तम किस्म के दूध की प्राप्ति होती है। यह कृषि में काफी मददगार होती है। संसार में गायों की संख्या लगभग 13 खरब होने का अनुमान है। राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (NDDB) के अनुसार वर्ष 2019 में हमारे भारत देश में कुल गोधन (गाय-बैल) की संख्या 19 करोड़ 24.9 लाख थी।
भारत में गायों की 43 नस्लें पाई जाती हैं, जो देसी गायों की नस्लें हैं। साहिवाल, गिर, थारपरकर, देवनी, नागौरी, लाल सिंधी, सीरी, मेवाती, हल्लीकर, कंगायम, भगनारी, कृष्णाबेली समेत कई अन्य देसी नस्ल हैं। जिन्हें भारतीय पशु अनुवांशिक संस्थान ब्यूरो में रजिस्टर्ड किया गया है।
गाय से प्राप्त होने वाले दूध, दही, घी के अलावा मूत्र और गोबर भी काफी उपयोगी है। गाय का यूं तो पूरी दुनिया में ही काफी महत्व है लेकिन भारत के संदर्भ में बात की जाए तो प्राचीन काल से ही यह अर्थव्यवस्था की रीढ़ रही है। भारत जैसे और भी कृषि प्रधान देश है, लेकिन वहां गाय को इतना महत्व नहीं मिला जितना भारत में।
दरअसल हिंदू धर्म में गाय के महत्व के कुछ आध्यात्मिक और चिकित्सकीय कारण भी रहे हैं। यह अपने जीवन काल में तो मनुष्य उपयोगी वस्तुएं देती हैं मरणोपरांत भी मनुष्य के उपयोग के लिए कुछ देकर ही जाती है। इनका चमड़ा, सींग, गोबर, मूत्र और हड्डियां भी उपयोगी हैं।
गाय हर हाल में मनुष्य का हित ही करती है, इसीलिए हिंदू धर्म में इसे माता का दर्जा देते हुए “गौ माता” की संज्ञा दी गई है। वैदिक काल से ही भारत में गायों को एक विशेष स्थान दिया गया है।
इन्हें कामनाओं को प्रदान करने वाले कामधेनु की उपाधि दी गई
व्यक्ति की समृद्धि की गणना उनके गायों की संख्या से की जाती थी। ऐसा कहना है कि समुद्र मंथन के समय क्षीरसागर से पांच गाये उत्पन्न हुई – नंदा, सुभद्रा, सुरभि, सुशीला और बहुला।
इन्हें कामनाओं को प्रदान करने वाले कामधेनु की उपाधि दी गई। इनमें 33 कोटि देवी देवताओं का वास माना जाता है। गायों की हत्या करना महापाप माना जाता था।
गाय के बारे में कुछ रोचक जानकारियां भी हैं –
इसे भी पढ़ें ब्लू व्हेल की प्रेरणा: गर्व कीजिए कि आप ब्लू व्हेल के पीरियड में जी रहे हैं
एक स्वस्थ गाय की उम्र औसतन 18 से 20 वर्ष की होती है, कभी-कभी 24 वर्ष आयु भी देखी गई है।
गाय के पास एक ही पेट होता है लेकिन उसमें 4 डाइजेस्टिव चेंबर होते हैं।
इसके निचले जबड़े में आगे से 8 दांत होते हैं, इसके अलावा भी बगल से दोनों तरफ 8-8 दांत और होते हैं। दोनों तरफ ऊपर और नीचे के जबरा में कुल 16 दांत होते हैं, इस प्रकार गाय को 24 दांत होते हैं। यह दांत उसके उम्र की सीमा के परिचायक हैं।
मनुष्य के बच्चे की तरह गाय के सामने के निचले जबड़े का दांत भी टूटता है और पुनः उत्पन्न होता है।
चारा या घास को बिना चबाए काट कर निगल जाती है। बाद में आहार नाल से वापस अपने भोजन को मुंह में लाकर धीरे-धीरे चलाती है, जिसे जुगाली करना कहते हैं।
गाय का दूध हड्डियों को मजबूत बनाता है। दूध में मिलने वाला प्रोटीन हृदय आघात, डायबिटीज और मानसिक रोगों को ठीक करने में भी उपयोगी माना गया है। भारतीय नस्ल की देसी गाय में संग लेंस होती है, जो उसके दूध को पौष्टिकता के साथ औषधि में बदल देता है।
गाय का दिल 1 मिनट में 60 से 70 बार धड़कता है।
आमतौर पर गाय का वजन 1200 pond होता है। गाय का नार्मल तापमान 101 .5०f होता है।
गाय के सुनने की शक्ति मानवो से अच्छी होती है।
गाय दिन भर में करीब 14 बार बैठती और उठती है। गाय उल्टी नहीं करती।
गाय दिन भर में 30 से 40 लीटर पानी पी जाती है।
यह मनुष्य की तरह 270 दिन के बाद संतान उत्पत्ति करती है। कुछ गाय ऐसी भी हैं, जो बगैर मां बने भी दूध देती हैं।
गोमूत्र से चर्म रोग फैटी लीवर कैंसर जैसी कई असाध्य बीमारियों का उपचार किया जाता है
गोमूत्र मंडूर , शोधी हर्रे इत्यादि नामक औषधि बनाने में गोमूत्र का प्रयोग होता है।
गाय के पेशाब, गोबर का रस, दूध, दही और घी से तैयार पंचगव्य मिर्गी जैसी बीमारी के उपचार में कारगर साबित हुई है।
अजवाइन के साथ गोमूत्र के सेवन से कृमि का नाश होता है।
इसका घी भी औषधि के रूप में काफी उपयोगी है।
इस प्रकार अनेकों अनेक गुण गायों में पाई गई हैं जो मानव जीवन के लिए अत्यंत ही उपयोगी है। अतः इसकी सुरक्षा करना मानवों का परम कर्तव्य बनता है।