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sikha hai janni se

फिर भी सीखा है जननी से, सहनशीलता का पाठ यहीं : “केवल” रुचिर की कविता

सीखा है जननी से – Kavita in Hindi अस्लाह भरपूर रखते है, अचूक अर्जुन हमारे है।। है अंगद भी इस मिट्टी का, जन्मा भीम सा बलवान यहीं ।। फिर भी…