Didda The Warrior Queen of Kashmir
महारानी दिद्दा नाम था इस वीरांगना का
महारानी लक्ष्मीबाई से पहले भी हमारे देश में एक ऐसी वीरांगना थी जिन्होंने मोहम्मद गजनबी को भारत से खदेड़ कर भगाया हिंदुस्तान की एक ऐसी वीरांगना जो दुश्मनों के लिए काल थी। दुश्मन उसे चुड़ैल रानी के नाम से पुकारते थे, जन्मजात विकलांग होते हुए भी युद्ध भूमि में दुश्मनों पर कहर बनकर टूटती थी।
महारानी दिद्दा नाम था इस वीरांगना का, जिसके बारे में न तो बहुत कुछ पढ़ा गया है और न हीं कुछ सुना ही गया है। इन्होंने महमूद गजनबी जैसे लुटेरे को भारत से दो बार खदेड़ा, हालाँकि जिसके बाद उसने रास्ता बदला और गुजरात के रास्ते भारत में प्रवेश किया।
महारानी दिद्दा का जन्म 924 ई में अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हुआ था। उस वक्त वहां हिंदू शाही वंश का शासन था। लोहार वंश के राजा सिंहराज की पुत्री तथा शासक भीम शाही की पौत्री थी महारानी दिद्दा। जन्मजात विकलांग होने की वजह से इनके माता-पिता ने इनका परित्याग कर दिया।
बचपन में नौकरानी का दूध पीकर पली-बढ़ी इस रानी ने अपने लंगड़ेपन को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया बल्कि युद्ध कला में पारंगत हुई और तरह-तरह के खेलों में निपुणता हासिल की।
पुरुष प्रधान सत्ता थी उस वक्त, फिर भी पति ने अपने नाम के आगे पत्नी दिद्दा का नाम लगवाया
महारानी दिद्दा अतुल सौन्दर्य के साथ-साथ तीक्ष्ण बुद्धि वाली महिला थी। कश्मीर के राजा क्षेमगुप्त आखेट पर निकले थे जब उनकी मुलाकात सुंदरी दिद्दा से हुई। इनकी अपंगता के बावजूद महाराज का दिल दिद्दा पर आ गया। बस क्या था महारानी की किस्मत ही बदल गयी। इनकी शादी कश्मीर के उत्पल वंश के राजा क्षेमगुप्त के साथ हुई।
कूटनीतिक और राजनीतिक मामलों में दिद्दा काफी मजबूत थी, क्षेमगुप्त से भी अधिक। महाराज अक्सर दिद्दा की सलाह लेते थे। इसीलिए महाराज क्षेमगुप्त ने अपने नाम के आगे दिद्दा लगाकर दिद्दाक्षेम कहे जाने लगे।
महारानी दिद्दा के नाम का सिक्का भी चलता था
क्षेमगुप्त ने महारानी के नाम से सिक्के भी बनवाए जिस पर लिखा था दिद्दाक्षेम गुप्त देव। 950 में शादी होने के बाद 958 तक इन दोनों का साथ बना रहा, आखेट के दौरान हुए राजा की मृत्यु के पश्चात् दिद्दा ने राज-पाठ संभाला और एक सशक्त शासिका के रूप में उभरी, जो अपने दुश्मनों के लिए चांडाल समान थी।

इनके शासन का वृतांत प्राचीन कवि कल्हण की रचना राज तरंगिणी मिलता है। प्राचीन संस्कृत कवि कल्हण ने कश्मीर के इतिहास की सबसे शक्तिशाली महिला शासक दिद्दा का उल्लेख किया है। महारानी दिद्दा एक ऐसी महानायिका थी, जिन्होंने अपनी शर्तों पर अपने बनाए नियमों के अनुरूप चलकर पुरुषवादी पितृसत्तात्मक समाज को चुनौती दी।
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इन्हें इतिहास के पन्नों में चुड़ैल रानी का दर्जा दिया गया क्योंकि उनकी दिमागी ताकत के आगे अच्छे-अच्छे राजा नतमस्तक रहे। इनसे हारने के बाद अपनी मर्दानगी छुपाने के लिए दिद्दा को चुड़ैल कहना शुरू किया। इस प्रकार दिद्दा चुड़ैल नाम से प्रसिद्ध हुई।
दुनिया को दिया गुरिल्ला युद्ध की रणनीति
महारानी ने 45 वर्षों तक कश्मीर में लंबा शासन चलाया। इन्होंने अपने शासनकाल में सैन्य शक्ति को काफी मजबूत बना दिया। आज सेना के कमांडो और गोरिल्ला वार फेयर पर दुनिया चालाकी की जंग लड़ती है वह इसी रानी की देन है। भारत की अस्मिता से खेलने वाले महमूद गजनबी को दो बार भारत से खदेड़ कर भगाया-पहली बार ,
महारानी के शासनकाल में महमूद गजनबी कश्मीर के रास्ते भारत में घुसना चाहता था परंतु महारानी दिद्दा मात्र 500 सैनिक लेकर गजनबी के 35000 सैनिकों को मात दी और 45 मिनट में युद्ध जीता। दूसरी बार महारानी की मृत्यु के पश्चात 1003 में महारानी की मृत्यु हो जाने के बाद गजनबी ने अपना अपना रास्ता आसान समझ कर दोबारा (1015-1023 ई) आक्रमण किया परंतु इस बार भी महारानी की सैन्य विरासत के चलते गजनबी को मुंह की खानी पड़ी। उस समय महारानी के पुत्र का शासन था परंतु महारानी के द्वारा ही तैयार की गई सेना थी।
दिद्दा द वॉरियर क्वीन ऑफ कश्मीर (Didda The Warrior Queen of Kashmir)
इतिहास के पन्नों में महारानी दिद्दा की वीरता भरी गाथाएं शायद इसलिए दबकर रह गई कि उन्होंने पुरुष प्रधानता को आघात पहुंचाया था। लेखक आशीष कौल द्वारा लिखी “दिद्दा द वॉरियर क्वीन ऑफ कश्मीर” ने इसे जीवंत किया है।
अभिनेत्री कंगना रनौत ने भी महारानी दिद्दा पर फिल्म बनाने का ऐलान कर दिया है।
Many called it the best historic film in recent times but we as team Manikarnika promise to make Manikarnika returns the legend of Didda bigger better and a world class franchise #2YearsofManikarnika #ManikarnikaReturns The Legend of Didda ❤️ pic.twitter.com/RJ2hoUAGOQ
— Kangana Ranaut (@KanganaTeam) January 25, 2021