अगम कुआं – पाताल से जुड़ा एक पुरातात्विक स्थल जो धार्मिक आस्था का केंद्र होने के साथ ही साथ अपने आप में कई अनसुलझे रहस्य को समेटे हुए हैं।
यह ऐतिहासिक धरोहर बिहार राज्य की राजधानी पटना में स्थित है। यह है हजारों साल पुराना एक कुआं जिसे सम्राट अशोक ने बनवाया था। इस कुएं के निर्माण के विषय में पुरातत्व विज्ञान का कहना है की 273 से 232 ईसा पूर्व में इसे बनवाया गया है।
इस कुएं की गहराई का अब तक पुरातत्व विज्ञान सही प्रमाण नहीं दे पाया है, काफी मशक्कत के बाद उनका कहना है की इसकी गहराई लगभग 105 फीट है। इसी गहराई की वजह से लोगों की यह मान्यता है कि यह पाताल से जुड़ा है इसीलिए इसका नाम ‘अगम कुआं’ रखा गया। ‘अगम’ का शाब्दिक अर्थ होता है ‘पाताल’ अर्थात पाताल से जुड़ा कुआं।
इस कुएं की खासियत यह है कि इतना पुराना कुआं होने के बावजूद यह कभी नहीं सूखता है। इस कुएं की एक और खूबी है इसमें पानी का रंग बदलता रहता है। इसका पानी कुष्ठ रोग और चेचक जैसी बीमारियों को दूर करता है।
अगम कुआं का रहस्य
पटना में स्थित ‘अगम कुआं’ और इसके साथ ‘माता शीतला जी’ का मंदिर कई चमत्कारों और रहस्यों के लिए जाना जाता है। यह कुआं शीतला माता के मंदिर के प्रांगण में स्थित है। शीतला माता की पूजा से पूर्व कुएं की पूजा की जाती है। कुएं में सिक्का या द्रव्य गिराने की प्रथा है जो बरसों पुरानी है।
शीतला माता के पूजा में कुएं के जल का प्रयोग किया जाता है। ऐसा मानना है कि अगम कुआं के पवित्र जल में स्नान करने से बांझपन के निवारण के साथ कई और रोगों से भी मुक्ति मिलती है।
क्यों आस्था का केंद्र है यह कुआं जिसमें सम्राट अशोक ने फेंकवाई थी अपने 99 भाइयों की लाशें
सम्राट अशोक के काल से इसका धार्मिक महत्व रहा है। साथ ही इस कुएं से जुड़ी कई मान्यताएं और रहस्य भी हैं। कई रहस्य आज भी लोगों के मन में घर किए हुए हैं, जैसे-इस कुएं का पानी सूखता क्यों नहीं है?
क्या अगम कुआं में दबा था सम्राट अशोक का खजाना? आखिर क्यों सम्राट अशोक ने अपने 99 भाइयों की हत्या कर उनकी लाशें इसी कुएं में डलवाई? जिस वक्त इस कुएं का निर्माण करवाया गया उस समय 20 फीट की गहराई पर पानी उपलब्ध था फिर भी इतना गहरा कुआं खुदवाया गया?
आज तक कभी भी नहीं सूखा इसका पानी और क्यों रंग बदलता है
आज तक यह एक अनसुलझी पहेली ही रह गई। कितनी भी भीषण गर्मी आई या बरसात हुई। इसके जलस्तर में फर्क नहीं पड़ा। गर्मी में पानी का लेवेल सामान्य से एक से डेढ़ फीट नीचे जाता है। वही बारिश के दिनों में भी पानी का लेवेल सामान्य से केवल एक से डेढ़ फीट तक ऊपर आता है।
चीनी यात्री ह्वेनसांग द्वारा लिखी पुस्तक मैं इस बात की चर्चा है की अशोक अपने विरोधियों को मरवा कर उसकी लाशों को इसी कुआं में फेकवाता था।
अशोक का खजाना
कहा जाता है कि इस कुएं के अंदर 9 और कुएं हैं और सबसे अंत में एक तहखाना है। यहां सम्राट अशोक का खजाना था। इसे खजानागृह कहा जाता है। खजानागृह अशोक साम्राज्य कुम्हरार से सुरंग के द्वारा जुड़ा हुआ था।
कुआं के पानी के नहीं सूखने के संबंध में अजीबो-गरीब तर्क
कुए के कभी ना सूखने के संबंध में बड़ा ही अजीब तर्क दिया जाता है कि यह पश्चिम बंगाल के गंगासागर से जुड़ा है। एक बार एक अंग्रेज की छड़ी गंगासागर में गिर गई थी जो बहते -बहते पाटलिपुत्र स्थित इस कुएं के ऊपर आकर तैर रही थी, आज भी वह छड़ी कोलकाता के म्यूजियम में रखी है।
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इस कुएं के पानी का गंगा के समान महत्त्व दिया जाता है। कहा जाता है कि पहले गंगा नदी इस होकर बहती थी, इसीलिए कुएं में गंगा का जल है। लोग गंगा नदी के समान ही इस कुएं के जल का महत्त्व मानते हैं, यही कारण है की सदियों से मनोकामना पूर्ति हेतु लोग इसमेें कुछ ना कुछ द्रव्य डालते हैं। यह प्रथा सैकड़ों वर्ष से चली आ रही है। पहले भी जब कोई राजा या मुगल शासक इस स्थान पर आता तो सोने -चांदी जैसे कीमती द्रव्य कुएं में डालता था। यह प्रथा आज भी कायम है।
अगम कुआं पटना के बाहरी इलाके में पंच पहाड़ी के रास्ते पर गुलजारबाग रेलवे स्टेशन के समीप स्थित है। यह पटना के पूर्व और गुलजारबाग स्टेशन के दक्षिण- पश्चिम में है। यह पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है।
अगम कुआं की जांच कई सरकारों ने की है
ब्रिटिश खोजकर्ता लॉरेंस बाडेल ने उल्लेख किया है सबसे पहले 1932 में अंग्रेजी हुकूमत के समय इसके रहस्य को जानने की कोशिश की गई।
दूसरी बार 1962 में बिहार के तत्कालीन पूर्व मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिंह के समय इसके रहस्य को जानने की कोशिश की गई, पानी के साथ सोने चांदी भी निकले पर इसकी गहराई और पानी के रंग बदलने के कारण का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला।
तीसरी बार 1995 में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने पुरातत्व विभाग की मदद से कुएं के रहस्य का पता लगाने की कोशिश की पर सफलता नहीं मिली। काफी कचरा निकाले जाने के बाद 90 फीट की गहराई से पुनः पानी निकलने लगा।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
इस ऐतिहासिक कुएं के रहस्य को सुलझाने में विज्ञान अभी भी सक्षम नहीं है। इसकी गहराई का सही माप, पानी का रंग बदलना, पानी का कभी न सूखना और इसके पानी में ऐसी क्या विशेषता है जिससे चर्म रोग दूर होता है, ये सभी सवाल आज भी सवाल ही बने हुए हैं। क्या उपचार के उद्देश्य से शीतला मंदिर (जो चेचक के लिए खास है) को इस कुएं के समीप बनाया गया। यह भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जानने योग्य बातें हैं।