वो औरत कौन थी ?
रात के 12:45 बजे जब हम घर पहुँचे, तो ऐसा लगा जैसे मौत को टक से छूकर लौटे हों। थकान शरीर में थी, पर दिल में बस एक सवाल —…
कोई पहलू न छूटे
रात के 12:45 बजे जब हम घर पहुँचे, तो ऐसा लगा जैसे मौत को टक से छूकर लौटे हों। थकान शरीर में थी, पर दिल में बस एक सवाल —…